STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

"पुराना दौर"

"पुराना दौर"

3 mins
615

फिर से वही पुराना दौर हमे तो याद होने लगा है

लालटेन का वो पुराना ज़माना याद होने लगा है

बहुत काटे हमने पौधे,बहुत काटे हमने वृक्ष,

फिर भी इस बिजली का निर्माण खोने लगा है

धरती को बहुत फाड़ा,अम्बर को बहुत फाड़ा

फिर भी यहां पर कोयला कम क्यों होने लगा है?

फिर से वही पुराना दौर हमे तो याद आने लगा है

पेट्रोल,डीजल की आसमाँ छूती कीमतें देखकर,

फिर से बैलगाड़ी का ज़माना याद होने लगा है

अब मोहभंग हो गया,इन मोटरसाइकिलों से

साइकिलों का वो पुराना दौर याद होने लगा है

ट्रैक्टरों से जुताई,निराई से मोहभंग होने लगा है

बैलों को याद कर हृदय जोर-जोर से रोने लगा है

फिर से वही पुराना दौर हमे तो याद होने लगा है

क्या बस में बैठे हम?क्या किसी कार में बैठे हम?

बहुत किराया देख,पैदल चलने का मन होने लगा है

ख़ूब सितम ढहाये हमने बेजुबान प्राणी घोड़ो पर

ख़ूब सितम ढहाये हमने बेजुबान प्राणी बैलों पर

अपने गुनाहों से साखी बहुत शर्मिंदा होने लगा है

जानवरों की वफादारी,सस्ती सलाहकारी यादकर

फिर से मन इन्हें जोरो-शोरो से खोजने लगा है

फिर से वही पुराना दौर हमे तो याद होने लगा है

बिजली कटौती से जब न हुआ मोबाइल चार्ज

वो रातों में छुपन-छुपाई खेलना याद होने लगा है

जिस घर-परिवार को आधुनिकता में भूले थे,हम,

अब उन पुरानी यादों का का स्मरण होने लगा है

यह धरती गोल है,पर तू मनु बड़ा गोलमटोल है

स्वार्थी आदतों से तू मनु सुख चैन खोने लगा है

हम फिर वही लौट आये,जहां से हम शुरू हुए थे,

बिन सोचे कोई कार्य करने से विध्वंस होने लगा है

आधुनकिता के साथ,हम प्रकृति का ध्यान रखे तो,

नये साथ,पुराना ज़माना भी स्वप्न संजोने लगा है

हमारे ऋषि,महृषि ज्ञानी-विज्ञानी थे,प्रकृति वाणी थे

उनका विज्ञान के साथ,प्रकृति ज्ञान याद होने लगा है

फिर से वही पुराना दौर हमे तो याद होने लगा है

अपने पूर्वजो पर बड़ा ही अभिमान होने लगा है.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy