पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
हर हिन्दुस्तानी की एक आस अधूरी है,
दुनिया से आतंकवाद मिटाना जरुरी है।
14 फरवरी कई लोग थे खुशियों में डूबे,
धोखे से हुआ कश्मीर में पुलवामा अटैक।
चालीस सी आप पी एफ के जवान शहीद हुए थे,
और घायल हुए थे फौजी भी अनेक।
शहीद हो चुके हैं वो अनमोल रतन जब,
तो अब भीड़ का निकाला मोरचा क्यूँ है ?
आतंकवाद के कहर से इस मुल्क में,
डरा हुआ आखिर हर बच्चा क्यूँ है ?
तुम भर्ती तक नहीं करते कभी फौज में,
जब शरीर का छोटा भाग कट जाता है।
बेटे की लाश को चिथड़ों में देख कर,
सोचो एक माँ से किस तरह जिया जाता है।
राजनीति की भी आखिर कुछ सीमा है,
उसका भी फर्ज है सैनिकों की रक्षा करना।
महफूज है हम परिवारों में दम पर उनके,
उन्हें हिफाजत से तुम उनके घर करना।
वो ना जाने हिम्मत सच्चे हिन्दूस्तानी की
पर मिटाते नहीं ऐसी कुछ मजबूरी है।
इन्सानियत जिंदा जहन में इनके क्यूंकि,
कुछ मासूमों की जान भी जरूरी है।
चुप बैठना हमारी फितरत बिलकुल नहीं
इस बार कुछ सबक सिखाना जरूरी है।
हर हिंदूस्तानी की दिल से गुहार है अब,
भारत से यह आतंकवाद मिटाना जरुरी है।।