जन्मदिन क्यों (Day19)
जन्मदिन क्यों (Day19)
इन्सान, जानवर, परिन्दे, कीड़े- मकोड़े,
सभी जीवमान, पैदा होते हैं
उसे जन्मदिन कहते हैं,
जन्म लेने में ख़ास क्या है ?
हमें जन्म देना सर्वथा दूसरों का काम है
जैविक माता-पिता जिम्मेदार होते हैं
चाहे अनचाहे नये जीव पैदा होते हैं
इन्सान के अलावा कोई नहीं मनाता है
जन्मदिन तो हर जीव के जीवन में आता है
धरती पर आ गए तो कौन तीर मार लिया
धरती पर थोड़ा सा बोझ ही बढ़ा दिया
संसाधन धरती के बर्बाद करते हैं
खाते हैं पीते हैं, शौचालय जाते हैं
सार्थक कुछ करते नहीं, गंदगी फैलते हैं,
लड़ते हैं झगड़ते हैं, जंगल जलाते हैं,
पक्षियों और जानवरों को मार कर
पेट भरते, प्रकृति असंतुलित करते हैं
नदियाँ प्रदूषित हैं, तड़ाग-झील बोझिल हैं
मनुष्य के प्रकोप से पहाड़ भी टूटते हैं
फिर भी हम ख़ुश हैं, अपने पर नाज़ है
एक साल जीने का काम क्या कमाल है ?
बोझ बने धरती पर जिस दिन हम आये थे
क्या देवताओं ने फूल बरसाये थे ?
चिड़ियों ने चहक कर स्वागत किया था ?
फूलों ने सौरभ का अर्पण किया था ?
शेष, दिग्पालों ने दुंदुंभि बजायी थी ?
किन्नर-गंधर्वों ने गायन किया था ?
जीवन में क्या कुछ अनोखा किया है ?
मानव जनम को क्या सार्थक किया है ?
जीवन का ध्येय तक जानते नहीं हैं
अपने से प्रश्न कोई पूछते नहीं हैं
अर्थ हीन जीवन को व्यर्थ है बिताते हैं
सासों की गिनती को पूरा कर 'जाते हैं'
फिर भी हम मुग्ध हैं फूले हैं ख़ुद पर
हर वर्ष चाव से जन्मदिन मानते है
आख़िर क्यों हर वर्ष जन्मदिन मानते हैं ?