यह कौन सुंदर संसार का रचयिता
यह कौन सुंदर संसार का रचयिता
जब हम इस संसार की सुंदरता को देखते हैं हमको ऐसा लगता है यह रचना किसने करी है जरूर तो कोई सुपर पावर है ईश्वर है जिन्होंने यह सुंदर संसार रचा है मगर इंसान उसकी सुंदरता को नष्ट करना चाहता है इस पर मेरी यह कविता
यह कौन चित्रकार है यह कौन चित्रकार है हरी भरी वसुंधरा पर नीला नीला ये गगन।
जिस पर बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन.
यह कौन चित्रकार है,यह कौन चित्रकार है,जो बिगाड़ रहा हरी भरी वसुंधरा
नीला नीला ये गगन।
, काले काले बादलों को पालकी में उड़ा रहा दूषित पवन।
यह देख मन दुखित हुआ। मानव के लालच का पैमाना छलक रहा।
यहां के मनोरम जंगल काट बना दिए, आरसीसी सीमेंट के जंगल।
अपने लालच और लोभ, स्वार्थपरता में इतना मानव तू घुस गया।
प्रकृति से छेड़छाड़ कर, तूने किया उसे खराब।
अरे अब तो तू संभल जा जरा, नहीं तो प्रकोप पड़ेगा भारी।
जो पड़ेगा सब पर भारी।
वृक्ष लगा, ऑक्सीजन पा, कार्बन डाइऑक्साइड हटा दूषित वायु ना निकाल।
वातावरण को शुद्ध बना, तभी मिलेगा शुद्ध खाना, शुद्ध पानी ,शुद्ध हवा।
पर्यावरण को ना बिगाड़, ऐसा चित्रकार बन
पर्यावरण को तू सुधार,चारों तरफ सफाई रख।
तो कुछ तेरा और पर्यावरण का होगा भला।
उस चित्रकार की कला. तभी होगी सार्थक।
जब हम उसको मानेंगे अपने जीवन का लक्ष्य।
यह धरती हमारी माता है। प्रकृति की गोद में हम खेले बढ़े हुए।
क्यों हम प्रकृति चक्र को बर्बाद करें।
क्यों ना हम इसे आबाद करें।
आने वाली नस्लें भी हमारे काम को रखे याद, ऐसा हम कुछ काम करें,
उस चित्रकार की कल्पना को हम हमेशा साकार रखें।
यही हमारा लक्ष्य है तभी होगा हमारा जीवन सफल साकार।
तो आए आज हम यह प्रण ले ले, हम प्रकृति के रक्षक बनेंगे,भक्षक नहीं,
और करेंगे उस चित्रकार की कल्पना को साकार।
यह कौन चित्रकार है यह कौन चित्रकार है।