शांति का साम्राज्य
शांति का साम्राज्य
कितना अच्छा होता ग़र सारे संसार में शांति का साम्राज्य स्थापित हो जाता!
सभी सुखी से रहते, सभी एक-दूसरे के साथ में एक-दूसरे के साथ से सुकून से जीते !
कितना अच्छा होता यदि
सभी जीव- जंतु- वनस्पति सभी आपस में तादात्म्य बना पाते,
धर्म -नस्ल-लिंग-क्षेत्र- जाति- सम्प्रदाय - पंथ आदि- आदि के नाम पे आये दिन
अखबारों की सुर्खियां बटोरने वाले और ट्रेंड में रहने वाले ये झगड़े न होते !
कितना अच्छा होता अगर सभी लोग आपस में ख़ुशहाल से जीते!
कितना अच्छा होता अगर शांति का साम्राज्य स्थापित हो पाता!
कितना अच्छा होता अगर 'वसुधैव कुटुम्बकम' की संकल्पना साकार हो पाती!
कितनी जीवंत दुनिया होती ग़र 'जियो और जीने दो ' की अवधारणा को दुनिया आत्मसात कर पाती।
कितना अच्छा होता ग़र सभी को सही समय पर न्याय मिल पाता,
अदालत के दरवाज़े खटखटाते- खटखटाते किसी की जिंदगी खत्म होने की नौबत ही न आ पाती!
सभी को उसके किये की भुगतान सही समय पर मिल पाता,
कितना अच्छा होता ग़र शांति का साम्राज्य स्थापित हो जाता !
कितना अच्छा होता ग़र कोई भी किसी दिन भी भूखे पेट सो न पाता !
कितना अच्छा होता ग़र शांति का साम्राज्य स्थापित हो जाता!
मेरी बातें महज़ कोरी कल्पना नहीं है ।
ये सब साकार हो जाता ग़र हम पूरे सात्विकता से अपने कर्तव्य निभा पाते !
यही तो कलयुग का ही नहीं हर युग का राम राज्य है !
जिसे हमें एक-दूसरे के साथ से, एक- दूसरे के सहयोग से स्थापित करना है,
शांति का साम्राज्य अर्थात राम राज्य।।