सखियों संग नई टेक्नोलॉजी
सखियों संग नई टेक्नोलॉजी
वह अपने बिछड़ने की आखिरी रात थी।
तुम सब दोस्त मेरी शादी पर आई थी।
फिर सोचा न था कभी हम मिलेंगे।
क्योंकि जयपुर जो मैंने छोड़ दिया था पिया का घर मैंने ढूंढ लिया था।
कुछ खास सहेलियों को छोड़ बाकी सब से मिलना तो मुश्किल ही हो रहा था।
मगर मैं आज खुश हूं मेरी कोशिश रंग लाई।
प्रिय सखियों तो क्या हुआ हम रूबरू ना मिले।
आखिर हमने तुमको ढूंढ ही लिया 40 साल बाद मिले।
रूबरू हम मिले ना मिले मगर मोबाइल व्हाट्सएप पर तो हमेशा जुड़े रहेंगे।
एक दूसरे के हाल-चाल हम पूछते रहेंगे।
हमेशा एक दूसरे के दिल में रहेंगे। रूबरू मिलना तो मुश्किल ही रहेगा।
मगर आजकल तो मिलने का तरीका और भी है।
क्यों ना हम उसे ही आजमा ले।
और एक दूसरे को देखकर एक दूसरे से दिल की बातें भी कर ले।
जो करते आ रहे हैं अब तक वह कर ले।
40 साल लग गए तुम सबको ढूंढते ढूंढते।
सबको एक छत के नीचे मैं ले आई. एक ग्रुप जो मैंने बनाया।
तुमने उसमें साथ बहुत प्यारा निभाया।
ऐसे ही हम मिलते रहेंगे।
रूबरू मिलने की आशा रखेंगे।
जब मौका होगा तो रुबरु भी मिलेंगे। नहीं तो हम फोन पर मिलते रहेंगे।
हम मिले ना मिले पर मोबाइल पर हमेशा मिलेंगे।
बेस्ट फ्रेंड ग्रुप की जान हो तुम
तुमसे ना मिले तो कैसे चलेगा।
दिल में हमेशा रखा है सबको।
रूबरू ना मिले तो वीडियो कॉल पर मिलेंगे।
मगर मिलेंगे जरूर मिलेंगे।