पुकारती वसुंधरा
पुकारती वसुंधरा


जिस वसुधा पर ईश्वर ने भी स्वयं जन्म लिया है,
देखो उसका मानव ने आज कैसा हाल किया है।
मनुष्य के पापों का निशिदिन वह बोझ ढोती है,
उसके अत्याचारों से पीड़ित होकर धरती रोती है।
पुकारती वसुंधरा कि मानव अब तो नींद से जागे,
प्रकृति से जुड़े हृदय से और स्वार्थसिद्धि को त्यागे।
यदि मनुज पृथ्वी की रक्षा करने में सफल हो जाएगा,
तभी सच्चे अर्थों में उसका भी अस्तित्व बच पाएगा।।