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Amit Kumar

Abstract Romance Classics

4  

Amit Kumar

Abstract Romance Classics

पत्थर बना दिया है.....

पत्थर बना दिया है.....

1 min
200


"पत्थर बना दिया है

तेरी दुश्वारियों ने 

मेरे दिल को

पिघल कर मोम होने में

तेरा इश्क़ ही मेरा रहबर",


जब रब ने तुझे बनाया

जब रब ने तुझे बनाया

जब रब ने तुझे बनाया

जब रब ने तुझे बनाया


फ़िदा वो भी हुआ होगा

जब रब ने तुझे बनाया

फ़िदा वो भी हुआ होगा

तेरे से इश्क़ करने को


मन उसका भी हुआ होगा

जब रब ने तुझे बनाया 

फ़िदा वो भी हुआ होगा

तेरे से इश्क़ करने को


मन उसका भी हुआ होगा

जब रब ने तुझे बनाया

तेरे सुर्ख होंठ छूने को

लब उसके भी लरज़ते होंगे


तेरे सुर्ख होंठ छूने को

लब उसके भी लरज़ते होंगे

फ़रिश्ते भी खुदावर से

तेरी ही ज़िक्र करते होंगे


फरिश्तों की कहानी ने

दिल उसका भी छुआ होगा 

जब रब ने तुझे बनाया

फ़िदा वो भी हुआ होगा


तेरे से इश्क़ करने को

मन उसका भी हुआ होगा

जब रब ने तुझे बनाया

तेरी ख़ामोश नज़रो ने


नींद उसकी भी छीनी है

तेरी ख़ामोश नज़रों ने

नींद उसकी भी छीनी है

सुना है ज़िक्र तेरा जिसने


बुतपरस्त वो भी हुआ होगा

जब रब ने तुझे बनाया

फ़िदा वो भी हुआ होगा

तेरे से इश्क़ करने को


मन उसका भी हुआ होगा

जब रब ने तुझे बनाया।


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