पत्र तो लिखा मगर भेजा नहीं
पत्र तो लिखा मगर भेजा नहीं
आपकी नजरों का जादू
घायल हो जाती थी,
जब एक नजर देखे जानती थी
आपकी चाहत कोई और !
सखी थी मेरी
चाहत थी बस तुम्हें
इजहार करुँ।
एक पत्र लिखाऔर
एक गुलाब उस रोज बस
एक हद मेरी।
न खत दिया न गुलाब
रुलाकर मुझे पढ़ा
हमने आजखूबसूरत है
अहसास हुम्म !
