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Pallavi Goel

Drama

3  

Pallavi Goel

Drama

पत्र लिखा पर भेजा नहीं

पत्र लिखा पर भेजा नहीं

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एक पत्र था वह 

मेरे अरमानों का 

कुछ बातें थीं 

कुछ यादें थीं 


कुछ मुलाकातों का 

जिक्र वहीं था

कुछ टूटे का 

काँच वहीं था

कुछ कसमें थीं


कुछ वादे थे 

टूटे संभले से 

इरादे थे 

कुछ कहे अनकहे

जुमले थे 


कुछ सुने अनसुने 

किस्से थे

कुछ चोटों का 

मर्म वही था 

कुछ दुखड़ों का 

गम भी वहीं था 


कुछ आंखों की

नरमी थी 

कुछ सांसों की 

गर्मी थी

भावों के जाम 

शब्दों में उडेले थे 


लड़खड़ाते इधर-उधर 

फैले थे 

झरना था या

बांध कोई टूटा

जिधर निकलता 


सब कुछ बदलता 

बेहतर था वह

मेरे पास रहे 

कुछ यादों की 

बस याद बने।


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