स्वर साम्राज्ञी
स्वर साम्राज्ञी
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वाग्देवी की वीणा झंकार
सा था गले का स्वर।
मोहक मुस्कान ऐसी कि
लेती थी हर दिल हर।
दशकों दशक से गूँजता
धाम पहुँचा आज पर।
कंठ-कंठ से फूटा शोक
ढल आज गीतों में झर ।
अश्रु आँखों में रहे पर
दिल तो आया है भर ।
धरा रत्न अमर शोभित
भारत माता के सर धर।
सुर समर्पण को समर्पित
श्रद्धा सुमन लाई हूँ भर।
साधिका ने माँ पग पखारे
फिर झुकाया अपना सर।
भारत रत्न ,स्वर साधिका आदरणीया लता मंगेश्कर दीदी को हृदय उद्गारों द्वारा भावभीनी श्रद्धांजली।
