पति का बटुआ
पति का बटुआ
सुनो ! कुछ कहना है मुझे
आपके बटुये की चमक को
रुप में ढालना है मुझे
इसलिये सोचती हूँ,
हमारा घर
शीशमहल के जैसा हो
जिसकी छत
चांदनी से भरी हुई
और फर्श पर
रेत की ज़मींन हो।
देखो ! पेहचाना आपने
इस प्यार की ईबारत को
जिसके कमरे
सच्ची मोहब्बत की
रोशनी से रौशन हो
अधेंरा कहीं पर न हो
तारों भरा आलिंगन हो
इसमें कुछ भी मेरा नहीं
सब आपकी
जेब का कमाल है।
छुओं ! स्पर्श करो
शब्दों की इस वाणी को
पेहचान बना लिया हमने
वर्णों की बीमारी को
सोचा कब तक रुक्सार मेरा
आपका साथ निभायेगा
रूह से अपना मीत बनाकर
न केवल बटुआ,
सरनेम आपका
अस्तित्व मेरा बन जायेगा।
इसलिये अब इस
समर्पण की बेला रूपी पुष्प के साथ
जीवन का आधार
बचपन रूपी नैया को
प्रेममय संग होकर
वृद्धावस्था तक
आपके बटुये के रुपये से बढ़कर
र्मीठे रिश्तों के संगम में
डुबकी लगाते खुशियों साथ
दुआओं में एक दूजे का होना हैं।