"पति का बटुआ"
"पति का बटुआ"
पति के बटुए पर पत्नी का,
होता है पूरा अधिकार,
पत्नी अपने पति का,
शाम को आने का,
करती है इंतजार,
पति की ही तरह उसे,
बटुए से भी होता है प्यार,
पति, जो पत्नी की जिंदगी है,
जीवन भर का साथी है,
करता है पत्नी व बच्चों को दुलार,
चलाता है घर संसार,
पति की कोशिश होती है,
ख़ुश रहे उसका परिवार,
और पत्नी भी अपने पति,बच्चों,
परिवार के लिए करती है त्याग,
सदैव देती रही है अनुराग,
दिन भर करती है परिश्रम,
सब के ऊपर उसका है उपकार,
इसीलिए पति के बटुए पर,
उसका है पूर्ण अधिकार,
पति के बटुए से नोटों को,
कभी ज़्यादा कभी कम,
देती है मार,
उसे मिलती है ख़ुशियाँ अपार,
करती है पति से मृदु व्यवहार,
करती है जी भर के दुलार,
ख़ूब करती है सत्कार,
घर की लक्ष्मी ही,
इकट्ठा करती है लक्ष्मी को,
फिर जाती है कभी बाजार,
साड़ी, मेकअप, ज्वैलरी की,
बनती है ख़रीददार,
इसलिए पति के बटुए पर,
रहती है पत्नी की नज़र,
पति की तरह बटुए को भी,
करती है मन से प्यार।