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Gopal Agrawal

Abstract

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Gopal Agrawal

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प्रश्न के हल में अटक रहा

प्रश्न के हल में अटक रहा

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आज हर आदमी दर दर भटक रहा है,

किसी न किसी प्रश्न के हल में अटक रहा है

इंसान के साथ समस्या चली आ रही है

सुख मिलना तो दूर खुशियाँ भी दूर जा रही है

प्रेम भाई चारा नहीं बचा अब इस जहान पर

छोटी छोटी बातों पर ही इंसान झगड़ रहा है

परेशान कुछ नौ जवां खाने लगे है अब जहर

तो कोई गम मिटाने शराब को गटक रहा है

आज हर आदमी दर दर भटक रहा है

हर प्रश्न का उत्तर अभी भी लटक रहा है


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