STORYMIRROR

V. Aaradhyaa

Tragedy Classics

4  

V. Aaradhyaa

Tragedy Classics

परोपकार पुण्याय

परोपकार पुण्याय

1 min
159

हम नाम जपे दिन रैन प्प्रभु का

मन मयूर डोलत-डोलत जाए।


भाव रहे सम संग सभी

मनभाव न अंतर घोलत पाए।


रूप अनंत विशाल भुजा,

शत भास्कर लोचन नीर समाय।


दीन दयाल जपो उर अंतर

संकट शोक विनाश मिटाएं।


भगवन को उनका भक्त प्रिय है

भक्तगण ईश को शीश नवाएं !


इहलाेक में किसका दिल न दिखाएं

परोपकार पुण्याय से परलोक संवारे !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy