परमात्मा का ध्यान।
परमात्मा का ध्यान।
आत्म-निरीक्षण कर दुर्भावनाओं को दूर करें।
गलतियां सबसे होती है
गलतियां हो भी गई तो
औरों को ही नहीं खुद को भी हम माफ करें।
जीवन को आगे बढ़ाने के लिए दूसरों से भी माफी मांगने में संकोच ना करें।
दुर्भावनाएं दूर हो मन को हमारे विकल ना करें
आओ हम सब मिलजुल कर परमात्मा से प्रार्थना करें।
काम क्रोध लोभ मोह मन को जब जब भी सताता है।
ईर्ष्या द्वेष मन में जब जब भी भर आता है।
मन इतना मजबूत हो, विश्वास आप में पूर्ण हो।
परमात्मा हम सदा ही तुम्हारा ध्यान धरे।
औरों की कमियां देखने से पहले हमें खुद की कमियां भी दिखे।
हे प्रभु कुछ ऐसा करो कि हम रहें जरूर इस दुनिया में लेकिन
तुमसे कभी ना ध्यान हटे।
ना दुख पाएं ना दुख दे जीवन में किसी को।
खुद भी मुस्कुराए और दूसरों की जीवन में भी मुस्कुराहटें हम भरें।