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Sushma Parakh

Tragedy Inspirational

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Sushma Parakh

Tragedy Inspirational

प्रकृति के आग़ोश में ….

प्रकृति के आग़ोश में ….

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कट रहे पेड़ पौधे, कट रहे पेड़ पौधे, आधुनिकता के जोश में ,

हो रहा विनाश आज विकास के भ्रम के आग़ोश में………२


साँस साँस का हुआ मोहताज, साँस साँस का हुआ मोहताज 

जो किया खिलवाड़ प्रकृति का,

प्रभाव कुछ ऐसा पड़ा देखो देखादेखी की संगति का, हाँ संगति का …………………..


विनाश हो रहा वन सम्पदा का ,अब कैसे रहूँ ख़ामोश मैं

कैसे रहूँ ख़ामोश मैं, देख लो कितना भी आधुनिकरण कर

देख लो कितना भी आधुनिकरण कर, लौट के आना ही 

पड़ेगा एक दिन सबको प्रकृति के आग़ोश में ,प्रकृति के 

आग़ोश में …………



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