ख़ामोश आँखें हैं बोलते यह लब है लबों की लुभावट से कोई बच न पाया। ख़ामोश आँखें हैं बोलते यह लब है लबों की लुभावट से कोई बच न पाया।
हकीकत में कब तुम्हारा आना होगा, जाने कब तुमसे मिलने का बहाना होगा। हकीकत में कब तुम्हारा आना होगा, जाने कब तुमसे मिलने का बहाना होगा।
मैं अभिव्यक्ति प्रस्तुति हूँ मैं। मैं अभिव्यक्ति प्रस्तुति हूँ मैं।
हम को सुला के सूखे में माँ खुद गीले में सोती हैं हम को सुला के सूखे में माँ खुद गीले में सोती हैं
प्रभाव कुछ ऐसा पड़ा देखो देखादेखी की संगति का प्रभाव कुछ ऐसा पड़ा देखो देखादेखी की संगति का
संगति के आगे यों झूठे संस्कार ही जैसे पड़ गए, मगर अपने ही बच्चों को संस्कार की दुहाई न संगति के आगे यों झूठे संस्कार ही जैसे पड़ गए, मगर अपने ही बच्चों को संस्कार क...