संगति के आगे यों झूठे संस्कार ही जैसे पड़ गए, मगर अपने ही बच्चों को संस्कार की दुहाई न संगति के आगे यों झूठे संस्कार ही जैसे पड़ गए, मगर अपने ही बच्चों को संस्कार क...
ख़्याल भी बह गये, कि, अब कैसे किस पे लिखूँ? ख़्याल भी बह गये, कि, अब कैसे किस पे लिखूँ?
थोड़ा ज़ेहन पर ज़ोर देने पे, सब लगा, मुझे समझ आने! थोड़ा ज़ेहन पर ज़ोर देने पे, सब लगा, मुझे समझ आने!
उनके आने के इंतज़ार में गुल मुरझाए, वो मेरे दिल को तो बहुत ही याद आये उनके आने के इंतज़ार में गुल मुरझाए, वो मेरे दिल को तो बहुत ही याद आये