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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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रब ने मिलाया

रब ने मिलाया

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इश्क़ एक इबादत है 

सज़दा हर दिल का 

मिलकर भी जो न मिले 

शिकवा उन जिंदगियों का है।


रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया 

जिसे दिल ने चाहा 

उसे दिल ना पाया 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया 

जिसे दिल ने चाहा 

उसे दिल ना पाया।


नज़र ने नज़र से 

नज़र में कहा है 

नज़र ने नज़र से 

नज़र में कहा है 

यही इश्क़ समंदर 

बसा दिल के अंदर 

तूफ़ान ऐसा है 

डूबा जहाँ है।


इसमें उतरने से 

कोई बच न पाया 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया।


खुदाया करम है 

जो भी भरम है 

खुदाया करम है 

जो भी भरम है 

जहाँ है मुहब्बत 

वहां दिल नर्म है 

इस नरमी से 

कोई बच न पाया 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया।


मिलना मिलाना 

एक संजोग है 

मिलना मिलाना 

एक संजोग है 

दिल में जो इश्क़ है 

कहे लोग रोग है 

इश्क़ के रोग से 

कोई बच न पाया 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया।


कहत कबीरा 

सुनते है साधो 

कहत कबीरा 

सुनते है साधो 

जहाँ तुम नहीं हो 

वहां हम न साधो 

साधो की संगति से 

कोई बच न पाया 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया।


कभी अजनबी थे 

अब जांबलब है 

कभी अजनबी थे 

अब जांबलब है 

ख़ामोश आँखें हैं 

बोलते यह लब है 

लबों की लुभावट से 

कोई बच न पाया।

 

रब ने मिलाया 

रब ना मिलाया।


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