प्रकृति के आगोश में
प्रकृति के आगोश में
पंच तत्वों से मिलकर बने मनुज
को एक दिन इन्ही में मिल जाना है।
प्रकृति ने ही जन्म दिया है और,
प्रकृति के आगोश में ही समाना है।
खाने को फल मिले, पीने को जल मिले,
इसी प्रकृति माँ से मिले सांसों के सिलसिले।
कितने भी आधुनिक हम क्यूँ न हो जायें,
सुकून बस प्रकृति की गोद में आकर मिले।
क्या हुआ है हासिल अब सोचना होगा,
दोहन प्रकृति का अब रोकना होगा।
इससे पहले प्रकृति हो नाराज़ हमसे,
आ जाओ मानव होश में,
आओ अब लौट चले प्रकृति के आगोश में।