प्रकृति और हम
प्रकृति और हम
चलो आज फिर से कुछ अनसुना करते हैं।
प्रकृति के साथ आज फिर दगा करते हैं।
यह प्राकृतिक आपदा हम सब पर कैसी आई है?
विश्व में कोरोना महामारी जैसे रोग लाई है।
ठंड गर्मी बरसात हद से भी ज्यादा हो रही ?
समझ जाओ प्रकृति हमसे क्या इशारा कह रही?
आज प्रकृति का नहीं हमें है ध्यान?
कल सिलेंडर लेकर घूमने की तैयारी है।
छोटी छोटी मगर मोटी बातों का ध्यान तुम रख लो।
प्लास्टिक का उपयोग जीवन में करना कम कर दो।
पानी को बर्बाद करना छोड़ दो
हरे भरे वृक्ष काटना छोड़ दो
आज सोच हमारी छोटी है लेकिन हमारी आबादी भी बड़ी है
एक बदलाव हमारी जिंदगी बदल सकता है
छोटे-छोटे कार्य संपूर्ण जीवन सुरक्षित कर सकता है
पौध पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं
पौधे जीवन को महफूज भी रखते हैं
हम लोगों को कुछ मुहिम ठाननी ही होंगी
बिना दवा के सिंचाई करनी ही होगी
ये जलस्तर क्यूं कम सा हो गया
ग्लोवाल वार्मिंग यूं ही बढ़ गया,
पक्षी क्यूं आसमा में कम से पड़ गए।
नदी पोखरें नहर क्यूं सूखे पड़ रहे
प्रकृति का क्या क्या इशारा है?
लगता कोई और कोहराम छाने वाला है।
चलो आज फिर से कुछ अनसुना करते हैं,
एक बार फिर से प्रकृति समझौता करते हैं।