परिवर्तन उन्मुख शिक्षक
परिवर्तन उन्मुख शिक्षक
इतिहास साक्षी है कि जब भी परिवर्तन की चिंगारी प्रस्फुटित हुई है
उस पर शिक्षक या गुरु ही प्रथम कड़ी रूप में उजागर हुए है।
क्योंकि एक शिक्षक ही व गुरु ही भविष्य की इस धरोहर को सजो सकता है।
क्योंकि शिक्षक ही मुट्ठी भर बीज जमीन पर बिखेर
कर फलदार, छायादार वृक्ष दे सकता है।
सिर्फ एक शिक्षक एक गुरु ही परिवर्तन कर सकता है।
वो परिवर्तन समाज और परिवार के कल्याण का भी हो सकता है।
और परिवर्तन जिसमें प्रमुख है राष्ट्र का हित।
एक इच्छा शक्ति से ओत प्रोत मन और प्रबुद्ध मस्तिष्क से भरा व्यक्ति ही परिवर्तन कर सकता है
और परिवर्तन की और उन्मुख करा सकता है।।
लेकिन
ध्यान रहे कि हम परीक्षा, पाठयक्रम के चक्रव्यूह में ही न उलझ जाएँ।
न जाने क्या पाने की होड़ में बच्चे कहीं ‘कुछ’ खो न दें।
कलात्मक हँसी की होड़ में, कही वो
विमुक्त ना हो जाये
प्रयास करें कि, बच्चे स्वच्छंद मन से सोच सकें।
अपनी उन्मुक्त एवं प्राकृतिक गति से उन्हें बढ़ने दें।
समाज और दुनिया को उनके अपने नजरिये से गढ़ने दें
क्योंकि एक शिक्षक ही परिवर्तन उन्मुख हो सकता है।
क्योंकि एक शिक्षक ही इतिहास रच सकता है।
क्योंकि एक शिक्षक ही समाज को उसका दर्पण दिखा सकता है।
क्योंकि एक शिक्षक ही कायनात बदल सकता है
क्योंकि एक शिक्षक की इतिहास रच सकता है।।