आज़ादी
आज़ादी
पंछी बन कर उड्ड जाऊँ आसमान में
दूर तक जहाँ जाए नज़र ज़मीन पे
उसे देख लू में ऊँचाई से
हवा का रुख़ जहाँ जाए
चली जाऊँ घटा बनके
उड़ना है मुझे दूर एक जहान में
जहाँ कोई किनारा नहीं
कोई सीमा नहीं कोई बंदिश नहीं
बस एक बार पर मिल जाए
रुकूँ ना उड़ जाऊँ पंछी बनके।