Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

विशिष्ट समझें खुद के काम को

विशिष्ट समझें खुद के काम को

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छोटा कभी न समझें खुद को,

न ही छोटा समझें निज काम को।

इस जग में अति विशिष्ट आप हैं,

विशिष्ट समझें खुद के काम को।


अक्सर असंतुष्ट सब इस जग में,

कहीं भी संतुष्टि का है नाम नहीं।

काम सबसे टेढ़ा ही मुझे मिल गया,

जो बेहतर होता वह तो मिला नहीं।

कोई तो रोता है धन कम मिलता है,

फिर कोई-कोई रोता है आराम को।

इस जग में अति विशिष्ट आप हैं,

विशिष्ट समझें खुद के काम को।


हमें मिला और जो है पास हमारे,

यह तो सब समाज की थाती है।

हस्ती क्या समाज के बाहर अपनी,

जब सोचें तभी समझ में आती है।

जंगल- पर्वत -सागर में हम हों अकेले,

पद न पूछे वहां कोई न पूछेगा नाम को।

इस जग में अति विशिष्ट आप हैं,

विशिष्ट समझें खुद के काम को।


सैनिक - डॉक्टर या अभियंता का,

 काम करने को हमें है जो भी मिला।

प्लेन उड़ाएं या प्यार से खाना पकाएं,

प्रफुल्लित रहें न करें कोई भी गिला।

जिंदादिली से हम जिएं यह जीवन,

संतुष्टि हित ही हम करें अपने काम को।

इस जग में अति विशिष्ट आप हैं,

विशिष्ट समझें खुद के काम को।


अपना जीवन हमने ही तो जीना है,

रो करके जीएं या फिर हॅंस कर के।

बेहतर है खुश हो करके ही जिएं हम,

जिएं निडर हों कभी नहीं डर-डर के।

आधे-अधूरे मन का काम सफल न होता,

मनोयोग से होते सफल और होता है नाम।


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