समर : खेत खलिहान और इंसान
समर : खेत खलिहान और इंसान
समर हैं दो शब्दों का मेल,
स और मर का है ये खेल।
स से सारे, मर से मिलकर करो मस्ती,
यही है समर देता संदेश।।१।।
समर तालाब के किनारे की ठंडक है,
बगीचे में पके हुए आमो की महक है ।
यह मिलन हैं लोगों एवं बच्चों का,
और दोपहर में गिल्ली डंडा की चाहत है।।२।।
समर रसीले तरबूजों और खीरो की प्यास है,
शहरी बाबू के लिए गांव आने का आस हैं।
यह रात्रि के अंधेरे में छत से तारों का गिरना है,
छोटे बच्चों के लिए 20 मई के बाद छुट्टी का विश्वास है।।३।।
समर रात्रि में रातरानी का महकना व खिलना है,
और बिछड़ी यारों का मिलना है ।
यह गेहूं की फसल के बाद का सुकून है,
और टूटे हुए तारों से मुराद को मिलना है।।४।।
समर कोयल की कू कू, और हवाओं का संगीत है,
यह नवरात्रि का पूजन, नीम के पत्तों का प्रीत है ।
यह शादी व्याह और मिलन है,
यह जर्सी के नीचे पसीने की शीत है।।५।।