भगवान जैसी मां
भगवान जैसी मां
क्या कहूं क्या दूं मैं उनको
जिन्होंने जीवन को इतना सजाया।
राह में थे काटे मेरे
अपनी ममता से कांटों को फूल बनाया।।१।।
चोट मुझे लगती दर्द उन्हें होता
खून मेरा बहता पर आप उनका रोता
उनके आंचल की छाया को कैसे छोड़ दूं मैं ?
इस एक शब्द मां में मेरा जां हैं समाया।।२।।
इस दुनिया की अजीब कड़ी है
यह जो विदाई की घड़ी है
यह सोचकर रूह कांप उठता है कि
छोड़ना पड़ेगा उस साथ को
जिसने चलना संभलना सिखाया
इस एक शब्द मां में मेरा खुदा है समाया।।३।।
ए खुदा ! सुन ले मेरी दुआ
कर दो मेरी पूरी एक चाह
मैं रहूं या ना रहूं जहां में रखना मेरी मां का ख्याल
एक छोटी सी मुस्कान उनके होठों पर
उनकी आंखों में ना आए आंसू कभी
जिन्होंने मुझे मुश्किलों से लड़ना सिखाया
इस एक शब्द में मेरा जहां है समाया।।४।।