जिंदगी
जिंदगी
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जहां भी देखा एक सन्नाटा था
सोचा खुशियां छुपा रहे हैं
मगर गहराइयों से सुना
सभी अपना दर्द छुपा रहे हैं
किसी ने अपनों को खोया
अपने सपनों को खोया
सब अपनी जिंदगी जिए जा रहे हैं
अजब दौर हैं जिंदगी की
क्या तेरा क्या मेरा बिना
सोचे जिंदगी जिए जा रहे हैं !
चारों ओर दर्द है
ऑक्सीजन की कमी, बेड नहीं
हर पल साथ छूटता अपनों का
श्मशान भी रोया उन अपनों के लिए
जो बिना मौत मरे जा रहे हैं
अब दर्द देखा नहीं जाता है ईश्वर क्षमा करो !