परिंदे प्यार के
परिंदे प्यार के


परिंदे प्यार के होते हैं बेज़ुबान, निश्छल और मासूम।
मत करो क़ैद इनको, खुले आकाश में मचाने दो धूम।
सोचो कि ईश्वर ने इन परिंदों को दो पंख क्यों दिए हैं।
क्योंकि ये ऊंचाई से आँखें मिलाने के हौसले लिए हैं।
प्यार और आज़ादी का पैगाम देते, ये परिंदे बिन बोले।
इंसान अपने दिल से गिले शिकवे मिटाकर बांहें खोले।
सीखे इंसान प्यार, शांति, सहनशीलता एवं निष्कपटता।
तो बढ़ जाए संसार में शांति और सब के मन में सुंदरता।