प्रेम मौन है
प्रेम मौन है
ये कैसा समय
बढ़ गयीं दूरियां,
प्रेम अब दिलों में
क्यूँ बाकी ना रहा
सब दहशत में कितने
करीब कोई आता नहीं,
कहाँ गए कसमें वादे
हैं दुनिया खौफज़दा
हम तुम में ये आयी दूरी
मास्क बन गया मजबूरी,
क्यों हुआ प्रेम ही मौन है
आखिर ज़िम्मेदार कौन है
काश प्यार के वही पल
आज हो जाए जवाँ फिर से,
आ कि नज़रों से ही पढ़ लें
जो कहना चाहे जुबां दिल से

