प्रेम कहानी
प्रेम कहानी
मैं तुम्हारे लिए आसमान के
तारे तोड़ लाऊंगा,
तुम्हें अपनी पलकों
पर बैठाउँगा।
तुम हो तो दुनिया
कितनी हसीन लगती है,
मेरे दिलबर,मेरी आँख
तुम्हारे नाम से ही खुलती है।
तुम ही तुम हर तरफ
दिखते हो,मैं खुद,खुद
न रही,तुम कितने
प्यारे लगते हो।
ये प्रेमालाप शादी के
पहले ही चलता है..
बाद में तो,आपसी प्रेम
कुछ बातों से झलकता है...
मसलन,अरे ,आज फिर घीया
की सब्जी बना दी..
कल की तरह आज भी
दाल फिर से जला दी।
आपसे तो कुछ होता
ही नहीं पप्पू के पापा,
पड़ोस के शर्मा जी से
ही कुछ तो सीखा होता।
कब से कह रही हूं
दिला दो एक सोने का हार,
फूटी तकदीर मेरी जब
से जुड़े तुमसे मेरे तार।
यही हमारी,उनकी,सबकी
प्रेम कहानी है,
बाकी रूमानी कल्पनाएँ
हैं,जो एकदम बेमानी हैं।