प्रेम के सौदागर (आधुनिक प्रेम )
प्रेम के सौदागर (आधुनिक प्रेम )
अनगिनत वायदों का सफ़र ,
कुछ इस कदर शुरू होता है
कि
तुम्हारी आँखों का नमकीन पानी
अब में पी जाऊँगा।
तुम्हारे लबों की हँसी,
अब मैं बन जाऊँगा।
तुम बुलाती रहना मुझे किसी बहाने से ,
मैं पलक झपकते ही तुम्हारे सामने आ जाऊँगा।
तुम रूठ जाओगी कि कभी तो ,
मैं मनाने के लिए चाँद तारे तोड़ लाऊँगा।
तुम अपनी परेशानियों की चिंता मत करना,
सारा बोझ मैं अकेले ही उठाऊँगा ।
तुम हाथ थाम कर चलना मेरा,
मैं ज़मीन पर फूल बिछा दूँगा।
तुम चीखना चिल्लाना चाहे जितना मर्ज़ी,
मैं तुम्हारे लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दूँगा।
ये साथ है मीठी चाय सा,
सर्दी और गर्मी दोनों में काम आऊँगा।
इन सभी बातों के आगे,
सब सपने सच होते लगते है।
तुम मेरी हो सिर्फ मेरी,
यह हक़ में तुमसे चाहूँगा।
और
टूटने पर उजड़ा यह जहान दिखता है,
मरुस्थल में जैसे पानी कम दिखता है
थोड़े आंसू, कुछ मुस्कानें,
तोहफ़े में मिलती है।
चाहत में कुछ दायरे ऐसे कहाँ होते है ?
प्रेम के पुजारी जिस्म के दीवाने कहाँ होते है?
कुछ तो टूट कर,
बिखर जाते है।
बाक़ी जो बचे,
उनमें से कुछ शायर बन जाते है।
प्यार के इस खेल में,
सभी बिकने लगते है।
इस डगर पैर लड़खड़ाते रहे तो ही अच्छा है,
मायूसियों का सफ़र ना मिले तो हाई अच्छा है।
ज़रा रुको ! और सोचो आने वाली तबाही के बारे में,
बाद में पछताने से अच्छा अभी रुकने के हज़ारों बहाने है।
कुल मिलाकर आधुनिक प्यार
धोखे का ऐसा दर्पण है
जिसमें झूठ भी सच लगने लगता है।
