प्रेम के अक्षांश
प्रेम के अक्षांश
किसी दिन सातों अक्षांशों को
रख कर
धरती की गेंद से बिखेर दूंगी
और तुम्हारी मेरी
नियति का अहर्निश एक ही अक्ष पर
घूर्णन करेगा
संसार के समस्त चक्रवात
छू भी न पायेंगे
हमारे प्रेम को
हमारी आँखों में खिलखिला कर हंसेगा
अभिमन्यु जीवित
ईश्वर छिप कर देखेगा
हमें खेलते प्रेम का सतोलिया
और एक दिन ईश्वर
स्वयं आयेगा
कोलंबस बन........प्रेम का देश खोजने