STORYMIRROR

Kajal Mehtani

Inspirational Others

3  

Kajal Mehtani

Inspirational Others

प्रेम

प्रेम

1 min
206

माँ को देखा था 

किसी भी यात्रा के मध्य 

आई नदी में 

सिक्का डालते 

अर्धमीलित आंखों और होठों में 

कुछ बुदबुदाते 

माँ क्या बुदबुदाती थी नहीं 

मालूम था 

फिर तुम मिले 

और उसके बाद पहली यात्रा के मध्य

आई नदी को देख 

अनायास ही मुट्ठी में न जाने कैसे 

आ गया एक सिक्का 

और सिक्का नदी में डालते 

स्वतः ही मूँद गए नेत्र 

और उभरा तुम्हारा चेहरा 

और उस दिन जाना.....मां क्या बुदबुदाती थी



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational