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Kajal Mehtani

Comedy Romance

4  

Kajal Mehtani

Comedy Romance

टॉम एंड जेरी वाला प्यार

टॉम एंड जेरी वाला प्यार

2 mins
272


पड़ोस वाली जो चाची जी हैं 

ना वो मुझ पे बहुत चिढ़ती थी जब मैं सोलह की थी

तब उनकी पड़ोसन की बेटी हुआ करती थी मैं

और अब भी चिढ़ती है सोलह साल बाद भी

जब मैं बहू हूं उनकी

क्या हुआ चौंक क्यूं गए

अरे हां सोलह साल की थी जब मैं तो उनका बेटा सत्रह का था

ये वही दिन तो होते हैं जब 

लड़कियां खुद को सिंड्रेला समझती हैं

बस इस मामले में उलटा था

चाची जी का बेटा मुझे सिंड्रेला मानता था

कुछ कविताएं भी कर लेता था....

मैं भी पढ़ने की शौकीन थी

बस चल पड़ी हमारी


बेचारा ना जाने कैसे करके

अमृता की मैं तुम्हें फिर मिलूंगी

ये वो ना जाने कौन कौन सी

किताबें मेरे लिए लाता और मैं खुद को अमृता समझती

उसे साहिर की फीलिंग दे देती थी

चाची जी सब समझती थी

मुझे बहुत तीखी नज़रों से देखती थी,

बहुत कुछ कहना चाहती थीं पर कह नहीं पाती थी

क्यूंकि छत की दीवार फांद कर हमारी छत पर आते

अक्सर अपनी एक चप्पल उनका राजकुमार गिराता था,

पर मुझसे मिलने बिना नागा आता था

पर कहते हैं ना

प्रेम क्या ना करवा दे

अब अपने बेटे को तो सबके सामने रुसवा कैसे करें

और मेरी आंखों की कही वो समझ ही जाती थीं

रोकना है तो अपने बेटे को रोक लो,

और बेचारी वो मन मसोस कर रह जाती थी

पर अपना सारा गुस्सा, और भड़ास

पड़ोसनों के सामने 

निकालती थी


मुझे पता था मेरे लिए कुलछिनी, बेशर्म, जादूगरनी

ना जाने कितने ही विशेषण लगाकर बातें करती थीं

पर होनी को कोई कैसे टाल सकता है

बस हमारी भी शादी विधाता ने लिख ही रखी थी

और हमने अपने प्रथम प्रेम को लाख बाधाओं के बावजूद

शादी के अटूट बंधन में बांध कर ही दम लिया

और फिर वो घड़ी आयी जब

चाची जी ने अपनी कुलछिनी 

बेशर्म बहू को आरती उतार कर घर के भीतर लिया

मुझे मन में बहुत हंसी आ रही थी

जब देखा अंदर चाचीजी की सारी पड़ोसनें

भी तिरछी मुस्कान के साथ

बधावे गा रही थीं

पैर छूते हुए चाचीजी ने मुझे

गले लगाया और कान में बोली निकली तू पूरी जादूगरनी

मेरे बेटे को अपने वश में कर ही लिया 

पर तेरा ये जादू मुझपर नहीं चलने वाला 

और तब से हम दोस्त बन गए बिल्कुल टॉम एंड जेरी

लाइक......



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