ग़जल
ग़जल


रदीफ काफिया बहर देखते ही रहे
निगाहों से लिखी वो उल्फत ग़ज़ल
फूल तितलियां जुगनु और चांद
तुम गर साथ तो कायनात ग़ज़ल
जिसे देखकर बनते हैं हर्फ ग़ज़ल
उफ्फ वो मासूम सी सूरत ग़ज़ल
उसकी चौखट पे बांध आए हैं दिल
दिन रात पढ़ते हैं अब मन्नत ग़ज़ल
उन्हें देखा उन्ही पे मर मिटे
अब दरवाजा ए जन्नत ग़जल
वो खामोश थे आंखें बोलती रहीं
प्रेम का वो पहला सा ख़त ग़ज़ल
वो बेपर्दा आए हैं महफ़िल में काजल
हुई आंखों की दिल से अदावत ग़ज़ल।