प्रेम का खेल
प्रेम का खेल
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प्रेम करना कोई खेल नहीं
इसमें जिन्दगी भी मौत सी लगती है।
दिलबर करीब हो तो जन्नत की सैर करते हैं।
तो दिलबर से दूरी जिन्दगी जहन्नुम कर देती है।
कभी प्रियतम का साथ इंद्रधनुषी रंग है।
तो कभी उसका धोखा जिन्दगी रंगहीन बना जाता है।
वो दिलबर का प्यार ही तो होता है,
जो हमें हर हाल में रहना सिखा जाता है।
छुपाता है हजार बातें दिल मगर
इन आँखो का क्या करूँ
जिनसे हर राजे मोहब्बत बयां हो जाता है।
प्यार का खेल ही निराला है जनाब
दिल हारने वाले को बाद में खबर लगती है।
पहले सारे संसार को पता चल जाता है।