प्रेम गीत
प्रेम गीत
मिले हैं जब से तुम से नयन प्रिय
हिया को नहीं चैन अब आता है,
तेरे प्रेम में हुआ ये मन बावरा
हर पल तुझको ही ध्याता है।
पाने को तेरी बस एक झलक
उम्मीदों की नित नई लौ जलाता है,
मेरे नैनों की भाषा को तुम समझो
मौन मेरा यही शोर मचाता है।
मेरे हृदय की वीणा का मधुर संगीत
हर पल तेरे प्रेमगीत ही गाता है,
कैसी मिटेंगी यह दूरियां प्रियतम
विरह अब ये सह नहीं पाता है।

