अंक
अंक
1 min
232
उम्र के अंक अब बढ़ने लगे हैं
ख्वाहिशों के कद कुछ घटने लगे हैं
जिंदगी की इस भागदौड़ से
अब मैं थककर हो गई हूं चूर
भर ले मां, मुझे अपने अंक में तू
सहला मुझे फिर उसी प्यार से तू
तेरे स्पर्श मात्र से मिट जाएंगी
मेरी सब दुख तकलीफ और चिंताए
बचपन की तरह सो सकूंगी मैं
तेरे अंक में,निश्चित हो आराम से।।