प्यार का नगमा
प्यार का नगमा
दिल प्यार का नगमा है
गुनगुनाता रहा ये दिल
जिनके लिए उम्र भर
उसके दिल के तारों को ही
क्यूं यह नगमा छू ना सका
प्यार में मेरे वो कशिश ना थी
या सुनकर भी वो अंजान रहा।
दिल एक प्यार का नगमा है
तेरे लिए ही गुनगुनाऊं मैं
दिल में उठती पीर को
हाय, कैसे तुझे दिखाऊं मैं
बैठ कभी तो पास तू
इस नगमे की झंकार सुन
मेरे दिल की वीणा से
जोड़ ले अपने दिल के तार तू।।