प्रेम भाव
प्रेम भाव
प्रेम भाव की अजब है माया कभी चिलचिलाती धूप सा
कभी दरख़्त की ठंडी ठंडी मद्धम मद्धम सुहानी छाया सा
प्रेम सरस सावन की बरखा में रिमझिम गिरती बूंदों सा
प्रेम मधुर सुरीली बाँसुरी से निकलते मीठे सात स्वरों सा
प्रेम सागर की गहराई में छिपे अनदेखे अंजाने खजाने सा
प्रेम ऊँचे दुर्गम पर्वत शिखर के सफ़र की कठिन चढ़ाई सा
प्रेम आँखों से बहती सतत विछोह की अश्रुधार सा निर्झर
प्रेम सप्त सुरों की सुरीली अनहद नाद सा कर्णप्रिय स्वर
प्रेम कथा है अति निराली , देखो कितनी है मतवाली
कितनों ने बाँची पर, कुछ ही हैं .. जिसने प्रेम रीत निभा ली
विरले ही प्रेम मार्ग पर चल पाते, आँसुओं को गले लगाते
जो चलते इस प्रेम डगर पर , वह ही दीवाने ही कहलाते ।।

