प्रेम अद्भुत
प्रेम अद्भुत
वो रंग जो जीवन में रस भर देता है
वो साथ जो पलभर में मुँह पर मुस्कान ला दे
प्रेम- वो पुष्प है जो मत की बगिया को खीला दे,
प्रेम- वो सोच जो एक ही क्षण में संसार में
आपको सबसे संपन्न महसुस करवाएँ।
प्रेम- वो जो तपते मरूस्थल में आपको जीवीत रखें।
प्रेम- वो जो जुदा होकर भी अलग न हो सकें।
प्रेम- वो सच्चा वादा जो पलभर का अहसास ज़िदगी बना दे।
प्रेम- वो कमज़ोरी जो समुद्र की तरह शांत होती रहे।
प्रेम-- जो रूह को तृप्त करे
अद्भत है प्रेम ! तो देखो दोस्तों
प्रेम-- न शास्त्रों
की परिभाषा में मिलेगा,
न शास्त्रों के बल से,
न पाताल की गहराई में
न आकाश के तारों में।
प्रेम भिन्न हैं उस वायु की तरह जो
दिखाई नहीं देती पर जीवन देती है।
अब सोचिएगा-
क्या है प्रेम,
कैसें पाते है प्रेम को,
क्या मार्ग - क्या दुनिया हैं प्रेम की,
जो वियोग में भी हैरत भरी खुशी देती है।
"आसमान के तारे पूछा करते है क्या अब भी
तुझे यकीन है उसके आने का,
और मैं हसकर जवाब देती हूँ-
मुझे तो अब तक विश्वास नहीं उसके चले जाने का।"