हिंदी --- (क्या-क्या नहीं सिखाती है...)
हिंदी --- (क्या-क्या नहीं सिखाती है...)
बहुत रोती है हिंदी बिचारी,
कभी संघर्षों का दरिया पार करती है,
तो कभी मरते दम तक लड़ती है,
बचपन से ही अकेली पड़ जाती है,
इंसानों के मायाजाल में फंस जाती है,
दिल की बातें तो यही बताती हैं,
अंदर के इंसान को भी यही जगाती है,
लोग चाहे उसे मरोड़ दे या फेंक दे,
पर हिंदी तो हमेशा भारत में ही बसती है,
हिंदी मेरी है, तुम्हारी भी, और हम सबकी भी,
हिंदी सिर्फ़ एक भाषा नहीं है,
बल्कि हर एक परिवान की ढाल है।