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दयाल शरण

Abstract

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दयाल शरण

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परछाई

परछाई

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कभी गीत में पिरोना,

कभी शायरी में लिखना,

मैं हूं जिंदगी तुम्हारी,

 जैसा चाहो, वैसा रखना।


तुम हंसे तो, में हंसूंगी,

जो रोए, तो सिसक लूंगी,

परछाई सी चलूंगी,

मेरा तय है, तुम संग चलना।


जो छोड़ते हैं, छोड़ें,

 जो तोड़ते हैं, तोड़ें,

जिस रूप में, रहोगे,

 मेरा साथ, तय है मिलना।


तुम फिक्र भी हो, मेरी,

 तुम फक्र भी हो,मेरा,

तुम सांस तक हो, मेरे,

 बाकी कफन है, मेरा।


मैं हूं जिंदगी तुम्हारी,

जैसा चाहो, वैसा रखना।


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