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AVINASH KUMAR

Abstract

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AVINASH KUMAR

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पैसे के बिना

पैसे के बिना

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347


रिश्तों में जब-तक सुधार ना आ जाए

पैसे के बिना कुछ काम ना हो पाए

पैसा ही जीवन का आधार बन बैठा

पैसा के बिना लोग सम्मान ना दे पाए


पैसे के बिना दुनिया में कुछ नहीं होता

पैसा नहीं होता तो इंसा, इंसा नहीं होता

हर वक्त हर लम्हा हर मोड़ पर है जरूरी

पैसे के लिए इंसा चैन से नहीं सोता


लोग कहते हैं कि प्यार में पैसा नहीं लगता

लेकिन पैसे के बिना प्यार का अहसास नहीं होता

रहने के लिए पैसा, खाने के लिए पैसा

जीने के लिए पैसा, मरने के लिए पैसा


मान है पैसा, सम्मान है पैसा

जान है पैसा, पहचान है पैसा

खुदा की खुदाई, भगवान है पैसा

इंसान की जरूरत, ईमान है पैसा


धर्म, कर्म, जीवन का सार है पैसा

रिश्तों की बुनियाद, घरबार है पैसा

लोगों की जिन्दगी है, संसार है पैसा

हर एक जिन्दगी का आधार है पैसा


मौज है मस्ती है, झनकार है पैसा

भीख मांगते बच्चों की करुण पुकार है पैसा

स्वर है, गीत है, संगीत है पैसा

संस्कार, परम्परा, रीत है पैसा


पैसे के दम पर बदल जाते हैं यहाँ लोग

हमदम है हमसफर है, मीत है पैसा

बच्चा है, बुढ़ापा है जवानी है पैसा

गरीबी की मार, अमीरी की निशानी है पैसा


जरा भूखे के पेट से पूछकर देखो

सुकड़ती आँतों की कहानी है पैसा

आदि है अनादि है अन्त है पैसा

वर्तमान युग के लिए सन्त है पैसा


राजा है, प्रजा है, सरकार है पैसा

इंसानी जिन्दगी की दरकार है पैसा

पैसा है पास तो हर काम है आसां

जीवन की मशीनरी का औजार है पैसा


धर्म की आड़ में, होते हैं काले काम

जुर्म की नाव और पतवार है पैसा

पैसे के लिए फूटते हैं रोज यहाँ बम

आतंकियों के हाथ का हथियार है पैसा


पैसों की चाहत में बिक जाता है यहाँ हुस्न

जिस्म का बाजार है, व्यापार है पैसा

इस पैसे की चाह में हम अन्धे हो गए

फेंक कर संस्कृति की पोशाक नंगे हो गए


दहशत और पाप के अन्धेरों में खो गए

अहंकार की गहरी नींद में सो गए


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