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Archana Saxena

Tragedy

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Archana Saxena

Tragedy

प्रभु रक्षा करो

प्रभु रक्षा करो

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भगवन देखो अब बस भी करो

अब इस विपदा को खत्म करो

संसार में कोई भी सुखी नहीं

जन जन इक डर में जीता है

मानव जाति संकट में है

सुख चैन का घट तो रीता है

जिस घर में भी हम नज़र करें

शंकाओं का वहाँ बसेरा है

आशा की किरण बड़ी दूर दिखे

काली रात सा घना अंधेरा है

माना कि घोर ये कलयुग है

इंसान नराधम पापी हुए

पर फिर भी तेरे बच्चे हैं

कुछ वायरस इनपर हावी हुए

भगवन तुम सबक सिखाओ हमें

पर इतना नहीं आजमाओ हमें

कैसा भी कोई भी हो परिवार

तुम मत छीनो उसका आधार

हम जानते इंसा है नाशुक्रा

नहीं समझेगा ये भी है पता

पर हम में से कुछ नेक भी हैं

जो कभी ना चाहे किसी का बुरा

गेहूँ के साथ घुन मत पीसो 

प्रभु रक्षा करो उपकार करो।


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