STORYMIRROR

Dr. Trisha nidhi

Abstract

4  

Dr. Trisha nidhi

Abstract

प्रातः काल का सौंदर्य

प्रातः काल का सौंदर्य

1 min
1.1K

प्रकृति का अनूठा उपहार 

सुबह की लालिमा से प्रारंभ हुआ 

सोचा रुक कर देखूँ 

कौंसी अनोखी बात है इसमें !


क्षितिज के रंग पर नज़र पड़ी जब मेरी 

आकस्मिक किरणो में 

कुछ कहानी बयाँ हो रही थी 

चिड़ियों का चहकना।

 

ऐसा लगा मेरी आगमन की तैयारी हो रही थी 

कालियाँ निगाहें लगाए 

इंतज़ार में,

गर्मजोशी की तमन्ना तो उनकी भी थी !


रँगों की कलाकृति 

तो किसी स्वप्न से भी अद्भुत थी 

चिड़ियों की बातें 

तो सरगम से भी मधुर थी,


कही पेड़ों की छाया 

कहीं मोर पंख फैलाए खड़े थे 

आँख मेरी आश्चार्यचकित 

दौड़ भाग की ज़िन्दगी से मीलों दूर 

एक काल्पनिक दुनिया बसाए बैठी थीं। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract