STORYMIRROR

Manu Sweta

Tragedy

3  

Manu Sweta

Tragedy

पराई

पराई

1 min
160

अपना जीवन स्वाहा किया

अपना सर्वस्व दान किया

फिर भी मैं पराई हूँ।

मुझ बिन जीवन चल न पाए

सब मुझ पर ही हुक्म चलाये

सबके लिए काम वाली बाई हूँ

फिर भी मैं पराई हूँ

रातो को जग जगकर

सारा दिन काम से थककर

दिन भर दौड़ लगाई है

फिर भी मैं पराई हूँ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy