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Rashmi Lata Mishra

Tragedy

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Rashmi Lata Mishra

Tragedy

पराई हूँ मैं

पराई हूँ मैं

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नौ महीने रही मां कोख में तेरी,

बाबुल की बाहों विच खेली।

एक ही खून बहन और भाई,

बाबुल फिर भी मैं हूं पराई।


बड़ा किया मुझको दुलराया,

साजन घर फिर तूने पठाया।

डोली भी कंधे से लगाई,

बाबुल फिर भी हूं मैं पराई।


सास के 'पर 'घर से आई

फिर मैं कैसे हूँ न पराई।

सारा जीवन यूं ही गँवाया

घर परिवार के हेतु लुटाया


नहीं वधू फिर घर में आई,

उस हेतु फिर मैं हुई पराई।

अजब है नारी जन्म कहानी

किस्मत है ना जाती जानी।


विधाता क्यों फिर नारी बनाई,

हर घर जब होती है पराई।


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