Preeti Sharma "ASEEM"
Drama
रिश्तों की पोटली,
उठायें फिरता था।
मैं हर रिश्ते पर,
नाज़ करता था।
सब मेरे है।
मैं सब का,
यहीं बात करता था।
हालात कुछ,
इस कदर,
आये सामने।
मैं किन से,
किन -की ,
बात करता था।
मैं तो एक वहम लिए,
रिश्तों की पोटली को,
उठाए बस सफर करता था।
आँचल की छाँव
धर्म के नाम प...
मकडज़ाल
मजदूर
अंतिम सत्य
वृद्ध समृद्ध
लिखने को
फुर्सत
बुरा ना मानो
सेन जी की जयंती है, आज बैशाख कृष्ण द्वादशी तिथि सेन जी की जयंती है, आज बैशाख कृष्ण द्वादशी तिथि
उसे कलात्मक रूप में उभार लाती हैं उसे कलात्मक रूप में उभार लाती हैं
आज किसी और से मिलने के बाद बेहतर न रहा आज किसी और से मिलने के बाद बेहतर न रहा
न तो घर पर ही लगा देंगे, ठिकाने तोड़ देते, अक्सर वो, वो ही आईने न तो घर पर ही लगा देंगे, ठिकाने तोड़ देते, अक्सर वो, वो ही आईने
मेरे पास है दुनिया वालो तुम फिक्र न करो उम्मीद के रौशन दियों को बुझाता हुआ सा शख्स। मेरे पास है दुनिया वालो तुम फिक्र न करो उम्मीद के रौशन दियों को बुझाता हुआ सा...
चेन की नींद में सोना अच्छा लगता है सारे काम करके सोना अच्छा लगता है चेन की नींद में सोना अच्छा लगता है सारे काम करके सोना अच्छा लगता है
उनकी मिटाती हूं, मैं खुमारी मैं गेंद तो हूं, कर्म प्रिय नारी। उनकी मिटाती हूं, मैं खुमारी मैं गेंद तो हूं, कर्म प्रिय नारी।
धीरे धीरे मुलाक़ातें बढ़ना, हमारा रोज़ मिलना मिलाना। धीरे धीरे मुलाक़ातें बढ़ना, हमारा रोज़ मिलना मिलाना।
नर्तकी भी गवईया भी है बजैया भी विदूषक भी है भाट भी। नर्तकी भी गवईया भी है बजैया भी विदूषक भी है भाट भी।
तेरी कुदरत पे भरोसा है तू करेगा ऐसा, उनकी दरो दीवार का कुत्ता बना दे मुझको। तेरी कुदरत पे भरोसा है तू करेगा ऐसा, उनकी दरो दीवार का कुत्ता बना दे मुझको।
तो हम भी कभी, अच्छे इन्सान बन पाते। तो हम भी कभी, अच्छे इन्सान बन पाते।
बिछड़कर मेरे यारा, तू मुझे फिर से मिला नहीं बिछड़कर मेरे यारा, तू मुझे फिर से मिला नहीं
मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी ससुराल का आँगन मेरे बच्चों की चिलकारी मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी ससुराल का आँगन मेरे बच्चों की चिलकारी
जिसे समझाना मुश्किल होता है, बताना नामुमकिन होता है। जिसे समझाना मुश्किल होता है, बताना नामुमकिन होता है।
लाग लपेट ना होती हमसे, साज सिंगार न करना देख। लाग लपेट ना होती हमसे, साज सिंगार न करना देख।
तू अपनी कर ओ सब इन्तज़ाम वाला है, तेरी हर हाज़त पर देख हरकात उसकी है। तू अपनी कर ओ सब इन्तज़ाम वाला है, तेरी हर हाज़त पर देख हरकात उसकी है।
वो जो, पहली मुलाकात में, होकर भी, नहीं हुआ था। वो जो, पहली मुलाकात में, होकर भी, नहीं हुआ था।
लगता है सूरज की किरणे मेरी छत के रंगों में समा रही हैं। लगता है सूरज की किरणे मेरी छत के रंगों में समा रही हैं।
जहां सुकून के पल हो जहां सिर्फ मैं हूँ और हर पल मेरा हो... जहां सुकून के पल हो जहां सिर्फ मैं हूँ और हर पल मेरा हो...
ज्यों बैशाख पास जाए मोरा कोमल तन झूलसाए ! ज्यों बैशाख पास जाए मोरा कोमल तन झूलसाए !